ये समझ आया है
- Kishori Raman

- Sep 26
- 1 min read
Updated: Oct 12

अपनी यादों के पुराने किस्से अब मत निकालो
जो भी मिला है नसीब में उस पर ही इतरा लो
शेरोशायरी और ज़िंदगी साथ साथ नहीं चलती
खुश रहने दो उन्हे गम का बोझ तुम उठा लो
वक्त के साथ वफा और जज़्बात बदल जाएगा
तेरे आखरी वक्त में कोई पास नही आयेगा
धरे रह जाएंगे तुम्हारे नज़्म और अंदाजे बयां
महफ़िल में कोई अजनबी नया शेर सुनाएगा
क्या सच है क्या झूठ कहना मुश्किल होता है
यहां धरती पर भगवान बनना मुश्किल होता है
सारी दुनिया को हम भले ही समझा लें
पर अपने आप को समझाना मुश्किल होता है
क्या मिला किसी को हिसाब किसने लगाया है
शब्दों के बाजीगरी से सबने दिल बहलाया है
हमारे सारे रिश्ते झूठ की बुनियाद पर खड़ी थी
ज़िंदगी गुजर जानेके बाद हमे ये समझ आया है
किशोरी रमण
आप हमेशा खुश रहे, स्वस्थ रहे और मस्त रहें।
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