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आज मुझे रो लेने दो

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Sep 22, 2021
  • 1 min read

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दर्पण तो केवल सच दिखाता है फिर भी वह आलोचना का शिकार होता है। इसी तरह दूसरों की भलाई करने वाले लोगों को भी बहुत सारे इल्जाम झेलने पड़ते हैं। पर जब ये इल्जाम दूसरों को पीड़ा पहुँचाने वाले काँटों की तरफ से लगाये जाते है तो तकलीफ होना स्वाभाविक है और तब आँसू बहाना उसकी नियति बन जाती है। इन्ही सब भावनाओं को ब्यक्त करती है आज की कविता जिसका शीर्षक है...... आज मुझे रो लेने दो दुनियां की सब झूठी रस्मे मरने और जीने की कसमे हँसने की तो बात कहाँ पर रोना ही है मेरे बस में दिल के टूटे भावों को आंसू में आज भिगोने दो आज मुझे रो लेने दो दीप जलाना पाप हो गया सच कहना अभिशाप हो गया अपनी ही सांसो का कातिल कैसे मैं चुपचाप हो गया दर्पण ज्यों बदनाम हुआ है मुझको भी अब होने दो आज मुझे रो लेने दो बंद रौशनी मूक निगाहें तुमको हम कैसे समझाये फूलो की तो बात नहीं पर कांटो ने इल्जाम लगाये खोया हूँ औरो के खातिर अपनो में अब खोने दो आज मुझे रो लेने दो उदासी मेरा मीत है दुखो से भरा अतीत है लिखा नही जिसे पन्नों पे वही तो मेरा गीत है अरमानो की कब्र खुदी है मुझको भी अब सोने दो आज मुझे रो लेने दो किशोरी रमण If you enjoyed this post, please like , follow, share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




3 Comments


Unknown member
Feb 09, 2022

bahut hi sundar....

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sah47730
sah47730
Sep 23, 2021

"आज मुझे रो लेने दो" कविता 44 साल पहले भी सुना था और महसूस किया था ।आज भी उतना ही दर्द महसूस हो रहा है। इस कविता में शब्दों और वाक्यों के पैटर्न बदलते हुए भी कोई ब्रेक नहीं महसूस होता। भावनापूर्ण संवेदनशील बहाव शुरू से अंत तक महसूस होता है।

"अरमानों की कब्रखुदी है,

मुझको भी अब सोने दो!

आज मुझे रो लेने दो!

आज मुझे रो...........!"

शानदार!

:-- मोहन"मधुर"

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verma.vkv
verma.vkv
Sep 23, 2021

बहुत ही सुंदर कविता ।

आप लिखते रहे ।

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