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कविता- " नया सबेरा हो "

  • Writer: Kishori Raman
    Kishori Raman
  • Feb 23, 2022
  • 1 min read


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" नया सबेरा हो "

आओ मिलकर दुआ करें कल एक नया सबेरा हो न सूरज पे कोई पहरा हो न रौशनी कहीं ठहरा हो न जाति धर्म का बंधन हो न दुखियों का क्रंदन हो हर घर में खुशहाली हो हर रोज ईद-दीवाली हो इंसानियत की पूजा हो शोषक न कोई दूजा हो विचार भले अनेक हो पर मन सबका एक हो अब दूर हर परेशानी हो सबकी सुखद कहानी हो सच्चे का बोल-बाला हो झूठे का मुहँ काला हो कल सूरज जल्दी निकले और सबका दूर अँधेरा हो आओ मिल कर दुआ करें अब एक नया सबेरा हो किशोरी रमण BE HAPPY....BE ACTIVE...BE FOCUSED...BE ALIVE If you enjoyed this post, please like , follow,share and comments. Please follow the blog on social media.link are on contact us page. www.merirachnaye.com




3 Comments


sah47730
sah47730
Mar 16, 2022

सुन्दर एवं विचार युक्त कविता।

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Unknown member
Feb 26, 2022

very nice....

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verma.vkv
verma.vkv
Feb 24, 2022

बहुत सुंदर कविता।

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